प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने राजस्थान दौरे के दौरान जिस करणी माता मंदिर में दर्शन करने जा रहे हैं, वह बीकानेर जिले के देशनोक कस्बे में स्थित है। इस मंदिर का इतिहास 15वीं शताब्दी का है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां के चूहों को 'काबा' कहा जाता है और इन्हें बहुत पवित्र माना जाता है। मंदिर में हजारों चूहे रहते हैं, जो भक्तों द्वारा लाए गए प्रसाद और भोजन को खाते हैं। माना जाता है कि ये चूहे करणी माता के अवतार हैं और इनकी पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
चूहे करणी माता के परिवार के सदस्य हैं
पौराणिक कथाओं के अनुसार करणी माता के एक भाई की मृत्यु हो गई थी, और वह अपने भाई को पुनर्जीवित करने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करने लगी। भगवान शिव ने करणी माता की प्रार्थना स्वीकार की और उनसे अपने भाई को चूहे के रूप में पुनर्जीवित करने की अनुमति मांगी। करणी माता ने भगवान शिव की बात स्वीकार की और अपने भाई को चूहे के रूप में पुनर्जीवित करने की अनुमति दी। इस प्रकार करणी माता के भाई को चूहे के रूप में पुनर्जीवित किया गया और तब से करणी माता के परिवार के सदस्यों को चूहे के नाम से जाना जाता है। मंदिर में माता को बनाए गए प्रसाद को चढ़ाने के बाद सबसे पहला हक इन चूहों का माना जाता है और उनके द्वारा इसे खाने के बाद वही प्रसाद भक्तों में बांटा जाता है।
करणी माता ने किए हैं कई चमत्कार
करणी माता एक धार्मिक और शक्तिशाली महिला थीं, जिन्हें हिंदू धर्म में देवी के रूप में पूजा जाता है। वह एक महान योगी और तांत्रिक थीं, जिन्होंने अपने जीवनकाल में कई चमत्कार किए। करणी माता मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक अनोखा और आकर्षक स्थान भी है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। मंदिर की वास्तुकला और सजावट अनोखी है और यहां चूहों की मौजूदगी इसे एक खास अनुभव बनाती है। यह भी माना जाता है कि जब देश में प्लेग जैसी बीमारी फैली और इसके साथ ही अकाल भी पड़ा, तब करणी माता ने अपनी शक्ति से प्लेग नामक बीमारी को नष्ट किया और अकाल की भयावहता को भी समाप्त किया।
करणी माता के वंशज करते हैं इसकी देखभाल
बीकानेर के इस प्रसिद्ध मंदिर की सेवा स्थानीय और आस-पास के लोग ही नहीं करते, बल्कि दूर-दूर से भी लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। सभी का मानना है कि जिस किसी पर भी देवी की कृपा होती है, वह यहां आ सकता है। यहां आने वाले भक्त का चाहे कोई भी उद्देश्य हो, देवी उसकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। मान्यता है कि जिसे भी अपने दरबार में बुलाना होता है, देवी उसे बुला लेती हैं। करणी माता के इस मंदिर का पूरा प्रबंधन उनके वंशज संभालते हैं, जिन्हें चारण कहा जाता है।
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