राजस्थान की रेत से ढकी धरा पर जब सूरज अपनी सुनहरी किरणें बिखेरता है, तो थार रेगिस्तान की खूबसूरती देखते ही बनती है। दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तानों में शुमार थार न केवल अपनी प्राकृतिक छटा के लिए मशहूर है बल्कि यहां इतिहास, संस्कृति और स्थापत्य कला की अद्भुत धरोहरें भी छिपी हुई हैं। यही कारण है कि यह इलाका पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। रेत के टीलों के बीच बसे किले, हवेलियां, मंदिर और ऐतिहासिक धरोहरें इस बात का प्रमाण हैं कि थार केवल बंजर भूमि नहीं, बल्कि सभ्यताओं की जन्मभूमि और इतिहास का जीता-जागता गवाह भी है।
जैसलमेर का स्वर्णिम किलाथार रेगिस्तान की चर्चा हो और जैसलमेर का जिक्र न हो, यह संभव नहीं। पीली बलुआ पत्थर से बना यह किला अपनी सुनहरी आभा के कारण "सोनार किला" भी कहलाता है। यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल जैसलमेर का किला आज भी आबाद है और इसके भीतर सैकड़ों परिवार रहते हैं। संकरी गलियों में बसी हवेलियां, जैन मंदिर और राजसी महल इसकी भव्यता को और भी बढ़ा देते हैं। यहां से दिखाई देने वाले रेगिस्तान के नजारे पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
जैसलमेर की हवेलियांपटवों की हवेली, नाथमल की हवेली और सलीम सिंह की हवेली थार के स्थापत्य वैभव की झलक दिखाती हैं। नक्काशीदार बालकनी, जालीदार खिड़कियां और बारीक कारीगरी इन हवेलियों को अद्वितीय बनाती हैं। ये हवेलियां व्यापारिक समृद्धि और राजसी जीवनशैली की गवाही देती हैं।
जैसलमेर से परे – जैसलमेर का लोक जीवनरेगिस्तान केवल इमारतों तक सीमित नहीं है। यहां के लोकगीत, नृत्य और कठपुतली कला भी उतनी ही लोकप्रिय हैं। गेर नृत्य, घूमर और कालबेलिया नृत्य पर्यटकों को थार की संस्कृति से जोड़ते हैं। ऊंट सफारी और जीप सफारी के जरिए पर्यटक रेत के समंदर में रोमांच का अनुभव करते हैं।
बाड़मेर और जैसलमेर का ऐतिहासिक महत्वथार की गोद में बसे बाड़मेर और जैसलमेर कभी व्यापार का बड़ा केंद्र हुआ करते थे। यहां से होकर गुजरने वाले कारवां रेशम मार्ग तक पहुंचते थे। यही कारण है कि इन इलाकों में बनी संरचनाओं पर इंडो-इस्लामिक और राजस्थानी स्थापत्य का गहरा असर देखने को मिलता है।
जैसलमेर से आगे – जैसलमेर का गढ़ीसर सरोवरगर्मी से तपते रेगिस्तान में गढ़ीसर सरोवर शांति और सुकून का एहसास कराता है। महाराजा गढ़सी सिंह द्वारा बनवाया गया यह सरोवर कभी शहर की जीवनरेखा हुआ करता था। आज यहां पर्यटक नौका विहार का आनंद लेते हैं और आसपास बने मंदिर और घाट इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं।
ओसियां – मंदिरों का नगरजोधपुर के पास बसा ओसियां थार की संस्कृति और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। यहां के जैन और हिंदू मंदिर अपनी भव्य नक्काशी और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध हैं। विशेषकर ओसियां माता मंदिर और सूर्य मंदिर दर्शनीय हैं। कहा जाता है कि ओसियां कभी व्यापार का प्रमुख केंद्र रहा है और यहां की मंदिर संस्कृति इसकी समृद्धि की दास्तान सुनाती है।
जैसलमेर से सटे लोद्रवा के जैन मंदिरथार के रेगिस्तान में लोद्रवा भी ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है। यहां के जैन मंदिर स्थापत्य कला के अद्भुत उदाहरण हैं। बारीक नक्काशी और शिल्पकारी देखकर पर्यटक दंग रह जाते हैं।
खाभा किला और कुलधरा गाँवथार की रेत में छिपे रहस्यों की बात करें तो खाभा किला और कुलधरा गाँव का नाम सबसे पहले आता है। खाभा किला खंडहर होते हुए भी अपनी शाही झलक दिखाता है। वहीं, कुलधरा गाँव अपने रहस्यमय इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि 200 साल पहले यहां के निवासी रातों-रात गांव छोड़कर चले गए थे और उसके बाद यह गांव कभी आबाद नहीं हुआ। आज यह जगह पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
थार का लोक जीवन और खान-पानथार का जिक्र उसके लोक जीवन और भोजन के बिना अधूरा है। बाजरे की रोटी, केर-सांगरी की सब्जी, गट्टे की सब्जी और मिर्ची बड़ा यहां के लोकप्रिय व्यंजन हैं। वहीं, लोकगीतों की मिठास और कालबेलिया नृत्य की अदाएं रेगिस्तान की रातों को जीवंत बना देती हैं।
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