बाड़मेर का बहुचर्चित कमलेश प्रजापति एनकाउंटर मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। एसीजेएम (सीबीआई) कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए 2 आईपीएस समेत 24 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने तत्कालीन राजस्व मंत्री और वर्तमान में बायतु विधायक हरीश चौधरी, उनके भाई मनीष चौधरी, तत्कालीन आईजी नवज्योति गोगई की भूमिका की भी जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने सीबीआई से 2 महीने में रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने मामले में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए 16 अप्रैल 2025 को यह आदेश दिया था।
पुलिस ने कमलेश प्रजापति का एनकाउंटर किया था
बाड़मेर एससी-एसटी सेल के तत्कालीन डीएसपी पुष्पेंद्र आढ़ा ने 23 अप्रैल 2021 को सदर थाने में रिपोर्ट दी थी। जिसमें बताया था कि पुलिस द्वारा किए गए जानलेवा हमले के जवाब में तस्कर कमलेश प्रजापति एनकाउंटर में मारा गया। पुष्पेंद्र आढ़ा ने 23 अप्रैल 2021 को रिपोर्ट में बताया था कि 22 अप्रैल 2021 को सदर थाना क्षेत्र में सेंट पॉल स्कूल के पीछे एक मकान में कमलेश प्रजापति को गिरफ्तार करने पुलिस गई थी। कमलेश गेट तोड़कर एसयूवी में भागने लगा तो पुलिस कमांडो ने उसे गोली मारकर एनकाउंटर में ढेर कर दिया। इसका सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया। कमलेश के एनकाउंटर के बाद पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चलाया। कार्यपालक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में सर्च ऑपरेशन में पुलिस ने 59 लाख 69 हजार 50 रुपए नकद, लग्जरी गाड़ियों समेत 11 अलग-अलग कंपनी की गाड़ियां, 5 अवैध पिस्तौल, 9 मैगजीन, 121 कारतूस, 2 किलो 360 ग्राम अफीम का दूध, 1 किलो 715 ग्राम पोस्त, 13 मोबाइल फोन, 4 डोंगल और एक एटीएम जब्त किया।
तत्कालीन सरकार ने सीबीआई को सौंपी थी जांच
तत्कालीन पचपदरा विधायक मदन प्रजापति व समाज के लोगों ने कमलेश प्रजापति के एनकाउंटर का विरोध किया था। इस पर तत्कालीन सरकार ने 31 मई 2021 को जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई के तत्कालीन एसपी एमएस खान ने 5 जुलाई 2021 को बाड़मेर के सदर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। सीबीआई ने लंबी जांच के बाद कोर्ट में निगेटिव क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी। इसमें बताया गया था कि जांच के दौरान मिले साक्ष्यों से यह साबित करना मुश्किल है कि कमलेश प्रजापति की हत्या फर्जी एनकाउंटर में हुई है। सीबीआई ने रिपोर्ट में परिजनों के फर्जी एनकाउंटर के दावे को खारिज कर दिया था।
पत्नी ने क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ दायर की थी याचिका
मृतक कमलेश की पत्नी जसोदा ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ 28 मार्च 2023 को याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई के दौरान थानाधिकारी पुष्पेंद्र आढ़ा ने कोर्ट के समक्ष कोई पक्ष नहीं रखा। जसोदा ने कोर्ट को बताया कि मामले में निष्पक्ष जांच नहीं की गई। उन्होंने दलील दी कि तत्कालीन राजस्व मंत्री हरीश चौधरी से पूछताछ नहीं की गई। मृतक के घर पर लगे सीसीटीवी की डीवीआर फुटेज भी डिलीट कर दी गई।
कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज की
कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज करते हुए तत्कालीन पाली एसपी कालूराम रावत, बाड़मेर एसपी आनंद शर्मा और 24 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने के आदेश दिए। कोर्ट ने सीबीआई को मामले की जांच में तत्कालीन राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, उनके भाई मनीष चौधरी और तत्कालीन आईजी नवज्योति गोगोई को भी शामिल करने और घटना में उनकी भूमिका की जांच करने के आदेश दिए।
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