'मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का प्रसाद खाने या घर लाने से भूत-प्रेत का साया आपके ऊपर मंडराता है। यहां बुरी आत्माओं को यातनाएं देकर भगाया जाता है। लोगों को कोड़े मारे जाते हैं। उन्हें जंजीरों में बांधा जाता है। उनके शरीर पर 100-100 किलो वजन के भारी पत्थर रखे जाते हैं।' राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से जुड़ी ऐसी और भी कई अजीबोगरीब मान्यताएं हैं। लेकिन क्या वाकई ऐसा होता है? मेहंदीपुर बालाजी से जुड़ी इन मान्यताओं के पीछे की हकीकत जानने के लिए हम खुद बालाजी महाराज के उस पवित्र धाम पर पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात विजयनाथ योगी से हुई। उनकी उम्र 35 साल रही होगी। वे एक पहाड़ पर स्थित अंजनी माता के प्राचीन मंदिर में मुख्य पुजारी और सेवादार हैं। उन्होंने बताया कि बालाजी महाराज के दर्शन के बाद अंजनी माता के दर्शन किए जाते हैं। फिर दूसरे पहाड़ पर स्थित शक्ति स्थल के दर्शन किए जाते हैं। अंत में तीसरे पहाड़ पर प्रेतराज, भैरो बाबा, घाट वाले बाबा और समाधि वाले बाबा के दर्शन के बाद यात्रा पूरी होती है।
सफेद वस्त्र पहने और गले में कंठी माला पहने महाराज ने बताया कि जिन लोगों पर भूत-प्रेत या नकारात्मक शक्तियां हावी होती हैं, उन्हें यहां दर्शन के लिए लाया जाता है। फिर अर्जी लगाई जाती है। प्रसाद के रूप में दो लड्डू खिलाए जाते हैं। इसी क्षण बाबा का चमत्कार दिखाई देता है। ऐसे सैकड़ों-हजारों लोग यहां से ठीक होकर जाते हैं। बाबा सबकी मनोकामना पूरी करते हैं।'
मजे की बात यह है कि विजयनाथ योगी जी पेशे से इंजीनियर रहे हैं। उन्होंने जयपुर से पॉलिटेक्निक के बाद बी.टेक किया है। पढ़ाई के बाद उन्होंने कुछ समय एचसीएल कंपनी में नौकरी भी की। वे कहते हैं, 'मुझे लगा कि मुझे कुछ ऐसा काम करना चाहिए, जिससे समाज का भला हो। फिर मैं मेहंदीपुर बालाजी वापस आ गया। यहां आकर मैंने बाबा की सेवा की। अब मैं महीने में एक या दो बार ही पहाड़ से नीचे जाता हूं। इस घने जंगल में बाबा और माता अंजनी की सेवा करने का जो आनंद है, वह किसी और चीज में नहीं है। उनकी चौथी पीढ़ी यहां माता अंजनी की सेवा कर रही है।'
अधिकतर महिलाएं निवारण के लिए मेहंदीपुर बालाजी क्यों आती हैं?
'महिलाओं में आत्मविश्वास कमजोर होता है। वे भावनात्मक रूप से आसानी से टूट जाती हैं। यही कारण है कि भूत आसानी से उनके शरीर पर कब्जा कर लेते हैं। हमने बचपन से ही यहां महिलाओं, पुरुषों और बच्चों को ठीक होते देखा है।'क्या मेहंदीपुर बालाजी में भूत भगाने के लिए यातनाएं दी जाती हैं? 'हमने बचपन में भूत भगाने की ऐसी तांत्रिक क्रियाएं सुनी और देखी हैं। तब हम तीसरी या चौथी कक्षा में रहे होंगे। उस समय भूत भगाने के लिए लोगों के शरीर पर 200-300 किलो वजन के भारी पत्थर रखे जाते थे। कुछ लोगों को जंजीरों से भी बांधा जाता था। उन्हें कोड़ों से भी पीटा जाता था। यह हमारी आम अदालत जैसी ही परंपरा थी। जहां भूतों पर मुकदमा चलाया जाता था और फिर उन्हें सजा और यातनाएं दी जाती थीं।'लेकिन मानवाधिकार आयोग के संज्ञान लेने के बाद इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है। यह 15 से 20 साल से बंद है। बालाजी महाराज का आशीर्वाद ही बुरी आत्माओं से मुक्ति दिलाने के लिए काफी है।
क्या मेहंदीपुर बालाजी जाने पर भूत-प्रेत का साया पड़ने लगता है?
ऐसी बातें सिर्फ अफवाह हैं। ऐसा कुछ नहीं है। बाबा से विनती करें। भोग लगाएं। बाबा के नाम पर भंडारा लगाएं और उनका आशीर्वाद लें। आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। बालाजी हनुमान के घर में बुरी आत्माओं का कोई वास नहीं है।
लोग कहते हैं कि बालाजी का प्रसाद बांटना या घर लाना मना है?
नहीं, ऐसी बातें काफी हद तक गलत हैं। आप प्रसाद बांट सकते हैं और दूसरों का प्रसाद भी खा सकते हैं। आपको सिर्फ उन्हीं लोगों का प्रसाद नहीं खाना चाहिए जिन पर बुरी आत्माओं का साया है। पहले लोग यहां से प्रसाद घर ले जाने से भी डरते थे। तब बालाजी मंदिर के महंत नरेश पुरी महाराज ने जगह-जगह पोस्टर लगवाकर लोगों को बताया कि वे मंदिर का प्रसाद बिना किसी झिझक के घर ले जा सकते हैं। बांट सकते हैं। खा सकते हैं।''कुछ लोग तो यहां तक कहते हैं कि मेहंदीपुर बालाजी में सफेद या पीला प्रसाद लेने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। ये सब बातें सिर्फ अफवाह हैं। इनका कोई आधार नहीं है। ऐसे टोटके सिर्फ कुछ खास कामों में ही किए जाते हैं। ये बातें हर किसी पर लागू नहीं होतीं।'
कश्मीरी पंडित भाइयों ने बताए बाबा के चमत्कार
शाम करीब चार बजे नैनीताल में रहने वाले दो भाई पहाड़ के दूसरी तरफ मिले। मूल रूप से कश्मीरी पंडित इन भाइयों की बाबा में आस्था थी और वे उन्हें यहां लेकर आए। वे कहते हैं, 'हम खुद इस बात के प्रमाण हैं कि अगर आप बाबा के दरबार में आकर सच्ची श्रद्धा से कुछ भी मांगते हैं तो आपको सब कुछ मिल जाता है। बाबा किसी को खाली हाथ नहीं भेजते।'उन्होंने कहा, 'मेहंदीपुर बालाजी में सिर्फ भूत-प्रेत से पीड़ित लोग ही नहीं आते। बल्कि यहां दर्शनार्थियों का भी तांता लगा रहता है। यहां कोई पुजारी या महंत राहत नहीं देते। बाबा खुद लोगों का कल्याण करते हैं। हम यहां का प्रसाद खाते हैं और घर भी ले जाते हैं। हम बाजार से परिवार के लिए सामान भी खरीदते हैं। आज तक कोई परेशानी नहीं हुई।
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